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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नीम करौली बाबा

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महान संत श्री बाबा नीम करौली जी का जन्म ग्राम अकबरपुर जिला आगरा में अनुमानित तौर पर बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में एक सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ और लक्ष्मीनारायण कहलाये। कुछ विशेष कारणों से ग्यारह वर्ष से पूर्व ही उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा और वह निकलकर गुजरात पहुँचे इस बीच बाबा (नीब करौरी) की शिक्षा भी नहीं हो पायी थी। गुजरात में बाबा किसी वैष्णव संत के आश्रम में रहे जिन्होंने उन्हें लछमन दास नाम दिया और वैरागी वेश धारण करवाया। गुजरात में वह सात वर्ष रहे जहाँ उनकी लम्बी जटायें हो गयी थीं। बाबा लंगोट बांधे रहते और सम्पत्ति के नाम पर एक कमण्डल उनके पास था। बबानियाँ ग्राम के श्री रामबाई के आश्रम में भी बाबा रहे और पास ही के एक तालाब के भीतर साधना किया करते थे। बबानियाँ से ही उन्होंने देश भ्रमण के लिए प्रस्थान किया। इस यात्रा में वे जिला फर्रुखाबाद के ग्राम नीब करौरी पहुंचे। ग्रामवासी चाहते थे कि बाबा यहीं रहें अत: उनकी साधना की सुविधा के लिए जमीन के नीचे एक गुफा बना दी गयी। बाबा दिनभर गुफा में रहते और रात्रि के अंधेरे में बाहर निकलते। वे कब दिशा-मैदान जाते किसी ने उन्हें नहीं देखा। काल

उत्तराखंड में प्रयोगशाला सहायक, फार्मेसिस्ट, फोटोग्राफर भर्ती-2021

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उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एंव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अन्तर्गत अनुश्रवण सहायक के रिक्त 08 पदों तथा प्रयोगशाला सहायक के रिक्त 07 पदों, रेशम विभाग के अन्तर्गत सहकारिता पर्यवेक्षक के रिक्त 02 पदों, विभिन्न निगमों/निकायों/पंचायतों के अन्तर्गत पर्यावरण पर्यवेक्षक के रिक्त 291 पदों, उच्च शिक्षा विभाग के अन्तर्गत प्रयोगशाला सहायक (भौतिक विज्ञान / रसायन विज्ञान / वनस्पति विज्ञान / जन्तु विज्ञान) के रिक्त 87, विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अन्तर्गत प्रयोगशाला सहायक के 09 पदों एवं फोटोग्राफर के के 02 पदों, उत्तराखण्ड पर्यावरण संर फार्मेसिस्ट क्षण एंव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अन्तर्गत वैज्ञानिक सहायक के रिक्त 05 पदों, कारागार विभाग के अन्तर्गत  के रिक्त 08 पदों, संस्कृति निदेशालय के अन्तर्गत रसायनविद् के रिक्त 01 पद, जल संस्थान | के अन्तर्गत कैमिस्ट के 12 पदों तथा पशुपालन विभाग के अन्तर्गत स्नातक सहायक के रिक्त 02 पदों | अर्थात कुल 434 रिक्त पदों पर सीधी भर्ती द्वारा चयन हेतु विज्ञापन | नोट: रिक्तियों की संख्या बढायी या घटायी जा सकती है। विज्ञापन प्रकाशन क

उत्तराखंड कारागार विभाग बन्दीरक्षक भर्ती-2021

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चयन हेतु विज्ञापन कारागार विभाग के अन्तर्गत पुरुष बन्दीरक्षक के 200 रिक्त पदों एवं महिला बन्दीरक्षक के 13 रिक्त पदों अर्थात कुल 213 रिक्त पदों पर चयन हेतु विज्ञापन। विज्ञापन प्रकाशन की तिथि-  28.06.2021 ऑनलाइन आवेदन की प्रारम्भ तिथि- 01 .07.2021 ऑनलाइन आवेदन की अन्तिम तिथि- 14 .08.2021 परीक्षा शुल्क Net Banking/Debit Card द्वारा जमा करने की अंतिम तिथि-   16.08.2021   लिखित परीक्षा का अनुमानित समय-  माह दिसम्बर 2021 नोट: रिक्तियों की संख्या बढायी या घटायी जा सकती है।         उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कारागार विभाग के अन्तर्गत समूह ग के पुरुष बन्दीरक्षक के 200 रिक्त पदों एवं महिला बन्दीरक्षक के 13 रिक्त पदों अर्थात कुल 21 रिक्त पदों पर सीधी भर्ती द्वारा चयन हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र आमन्त्रित किए जाते हैं। इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की वेबसाइट पर दिनांक 14.08.2021 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन भरने से पूर्व अभ्यर्थी विस्तृत विवरण देख लें। शैक्षिक अर्हताओं के साथ-साथ शारीरिक माप के मानक व शारीरिक दक्षता की भी स्पर्धाय भी है। अतः अभ्यर्थी यह देख लें कि ये सभी प्रकार की अर्हतायें

दून विश्वविद्यालय में गैर शिक्षण (Non-teaching) पदों के लिए भर्ती

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          दून विश्वविद्यालय में विभिन्न गैर-शिक्षण (Non-teaching) पदों पर भर्ती के लिए सुसंगत योग्यता / कार्य अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं, जिनका विवरण प्रदर्शित सूचना विज्ञप्ति (Information Bulletin ) में देखा जा सकता है। ऑनलाईन आवेदन, शैक्षिक योग्यता, अनुभव एवं अन्य पात्रता मानदंड आदि से सम्बन्धित विवरणः https://www.doonuniversity.ac.in पर उपलब्ध सूचना-विज्ञप्ति में दिया गया है। पूर्व में सहायक अभियन्ता, स्टूडियो टैक्नीशियन, कनिष्ठ अभियन्ता स्टूडियो सहायक के पदों पर विज्ञापन संख्या 01/12/2016 दिनांक 26 दिसम्बर 2016 के माध्यम से जो विज्ञापन हुआ था उसे निरस्त किया जाता है। इन पदों पर पूर्व में जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, यदि वे इच्छुक हों तो उन्हें पुनः आवेदन करना होगा। पूर्व में हुये आवेदन पत्रों का संज्ञान नहीं लिया जायेगा।           पात्र और इच्छुक उम्मीदवार उपर्युक्त वेबसाइट पर दिनांक 14.08.2021 (23:50 बजे तक) तक ऑनलाइन आवेदन भर सकते योग्य एवं अई अभ्यर्थियों हेतु शिक्षणेत्तर पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाते हैं।  इच्छुक

उत्तराखंड में पटवारी व लेखपाल भर्ती- 2021

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समूह 'ग' में राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी) के 366 रिक्त पदों तथा राजस्व उपनिरीक्षक (लेखपाल) के 147 रिक्त पदों अर्थात कुल 513 रिक्त पदों पर चयन हेतु विज्ञापन |  नोट: रिक्तियों की संख्या बढायी या घटायी जा सकती है। विज्ञापन प्रकाशन की तिथि:  17 जून, 2021 ऑनलाइन आवेदन की प्रारम्भ तिथि: 22  जून, 2021 ऑनलाइन आवेदन की अन्तिम तिथि: 05 अगस्त, 2021 परीक्षा शुल्क Net Banking/Debit Card द्वारा जमा करने की अंतिम तिथि: 07 अगस्त, 2021 शारीरिक दक्षता / लिखित परीक्षा का अनुमानित समय: नवम्बर, 2021   समूह 'ग' में राजस्व विभाग के अधीन विभिन्न जनपदों के अन्तर्गत राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी) के 388 रिक्त पदों तथा राजस्व उपनिरीक्षक (लेखपाल) के 147 रिक्त पदों अर्थात कुल 513 रिक्त पदों पर सीधी भर्ती द्वारा चयन हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र आमन्त्रित किए जाते हैं। इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की वेबसाइट पर दिनांक 05 अगस्त, 2021 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ये पद जिला संवर्ग के हैं व जिलावार पदों को बांटकर विज्ञापन में प्रकाशित किया गया है, किन्तु आवेदन करते समय जिला का विकल्प लेने की आवश्यकता नहीं। जिला चयन का वि

कबूतरी देवी "उत्तराखंड की तीजनबाई"

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कबूतरी देवी "उत्तराखंड की तीजनबाई"  उत्तराखंड की लोकगायिका "कबूतरी देवी" सामान्य परिचय-  जन्म- 1945 AD में लेटीगांव, काली कुमाउ क्षेत्र चम्पावत में एक मिरासी (लोकगायन का कार्य करने वाले) परिवार में हुआ था निवासी- कितड़ी गांव, मूनाकोट पिथौरागढ़।  संगीत की प्रारंभिक शिक्षा- अपने पिता रामकली और उनके गांव के देव राम और देवकी देवी से.  इनके पति दीवानी राम ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने कबूतरी देवी को स्थानीय मेलो और आकाशवाणी मैं गाने के लिए प्रेरित किया, कबूतरी देवी अपने पति दीवानी राम को नेताजी कहकर पुकारती थी. पहाड़ी संगीत की लगभग सभी प्रमुख विधाओं में पारंगत कबूतरी देवी मंगल गीत, ऋतु रैण, पहाड़ के प्रवासी के दर्द, कृषि गीत, पर्वतीय पर्यावरण, पर्वतीय सौंदर्य की अभिव्यक्ति, भगनौल न्यौली जागर, घनेली झोड़ा और चांचरी प्रमुख रूप से गाती थी कबूतरी देवी सामान्यतः "ऋतुरैण" ऋतु आधारित लोकगीतों को गया करती थी  2 002 में नवोदय पर्वतीय कला केंद्र पिथौरागढ़ ने उन्हें छोलिया महोत्सव में आमंत्रित कर सम्मानित किया, इसके अलावा लोकसंस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समित

GARIYA BAGWAL (गढ़िया बग्वाल)

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आज मैं आपको उत्तराखण्ड के बागेश्वर जनपद स्थित कपकोट के ‘गढ़िया परिवार’ के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक ऐसे त्यौहार के बारे में जानकारी दे रहा हूँ जिसे सिर्फ ‘गढ़िया परिवार’ के लोग ही मनाते हैं। ‘गढ़िया’ लोगों का मूल गाँव पोथिंग (कपकोट ) है।  यहीं से गढ़िया परिवार के लोग अन्य गांवों (जैसे – गड़ेरा, तोली, कपकोट, लीली, लखमारा, डॉ, फरसाली आदि) में चले गए और साथ ले गए तो अपना यह पारवारिक पर्व। इस पर्व को लोग ‘गढ़िया बग्वाल’/ ‘गढ़िया बग्वाव’ के नाम से जानते हैं। आज भी यह पर्व गढ़िया परिवार के लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यदि आपके पास इस त्यौहार से सम्बंधित कोई जानकारी हो तो कृपया बाँटने का कष्ट करें। यूँ तो उत्तराखण्ड में अनेक लोक पर्व/त्यौहार मना ये जाते जो कृषि या उनके पशुधन से सम्बंधित होते हैं और इन पर्वों को क्षेत्र के समस्त लोग बड़े हर्ष एवं उल्लास के साथ मानते हैं। लेकिन उत्तराखण्ड में बागेश्वर जिले के कपकोट  क्षेत्र में एक ऐसा त्यौहार भी मनाया जाता है, जिसे सिर्फ ‘गढ़िया परिवार’ के लोग मानते हैं। और यह त्यौहार ‘गढ़िया बग्वाल’ के नाम से जाना जाता है। बागेश्वर या अन्य क्षे

गढ़िया वंश का इतिहास

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 नमस्कार दोस्तों                आज मैं आपको एक "गढ़िया वंश" के  इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूं.  आइए जानते है कैसे गढ़िया वंश का उदय और विकास हुआ.         बात उन दिनों की है जब औरंगजेब का शासन था  देश मुगलों के अधीन था। पूरे देश में मुगलों का शासन था उनके अत्याचार पूरे देश में फैले थे। औरंगजेब ने बहुत अत्याचार किये और बहुत राजाओ को हराकर उनका राज्य अपने राज्य में मिला दिया। उन दिनों गढिया जाति  के लोग राजस्थान में रहते थे। तब वहा औरंगजेब के अत्याचारो के कारण  मजबूरन उनको वहा से पलायन करना पड़ा फिर वहा से  पलायन के पश्चात वे अस्कोट नामक स्थान पर बस गए जो की वर्तमान में पिथौरागढ़ जनपद में है। वह समय ताकत का था उस दौरान जिसके ज्यादा बच्चे होते थे उसका ज्यादा प्रभाव रहता था मतलब यूँ की जिसके ज्यादा लड़के होते थे उसकी ज्यादा शक्तिशाली या प्रभावशाली माना जाता था फिर उन्होंने वहा से भी पलायन किया और तुर्ती (गढ़वाल) में बस जाते हैं जो वर्तमान में उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है वहाँ उन्होंने अपना दूसरा विवाह किया और  जीवन स्थापित किया .. जो गढ़िया जी थे उनकी दो पत्निया थी त

गज़ला देवी एक स्मृति

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गज़ला देवी एक स्मृति नहीं रही केदार नृत्य की नृत्यांगना गज़ला देवी । कल टिहरी गढ़वाल के ढुंग,बजियाल गाँव में उनका देहांत हो गया गज़ला देवी ने अपनी टीम के साथ टिहरी के इंद्रमणि बडोनी जी के निर्देशन में 26 जनवरी 1956, 1960 को उस समय के उत्तरप्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व किया था तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को केदार नृत्य इतना पसंद आया कि उनके कदम भी सबके साथ थिरक पड़े थे 84 साल की उम्र में गज़ला देवी इस दुनियां से विदा ले गयी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें भावभीनी श्रद्धांजलि 💐