नीम करौली बाबा
महान संत श्री बाबा नीम करौली जी का जन्म ग्राम अकबरपुर जिला आगरा में अनुमानित तौर पर बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में एक सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ और लक्ष्मीनारायण कहलाये। कुछ विशेष कारणों से ग्यारह वर्ष से पूर्व ही उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा और वह निकलकर गुजरात पहुँचे इस बीच बाबा (नीब करौरी) की शिक्षा भी नहीं हो पायी थी। गुजरात में बाबा किसी वैष्णव संत के आश्रम में रहे जिन्होंने उन्हें लछमन दास नाम दिया और वैरागी वेश धारण करवाया। गुजरात में वह सात वर्ष रहे जहाँ उनकी लम्बी जटायें हो गयी थीं। बाबा लंगोट बांधे रहते और सम्पत्ति के नाम पर एक कमण्डल उनके पास था। बबानियाँ ग्राम के श्री रामबाई के आश्रम में भी बाबा रहे और पास ही के एक तालाब के भीतर साधना किया करते थे। बबानियाँ से ही उन्होंने देश भ्रमण के लिए प्रस्थान किया। इस यात्रा में वे जिला फर्रुखाबाद के ग्राम नीब करौरी पहुंचे। ग्रामवासी चाहते थे कि बाबा यहीं रहें अत: उनकी साधना की सुविधा के लिए जमीन के नीचे एक गुफा बना दी गयी। बाबा दिनभर गुफा में रहते और रात्रि के अंधेरे में बाहर निकलते। वे कब दिशा-मैदान जाते किसी ने उन्हें नहीं देखा। काल